प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, एक सराहनीय पहल है, जो पूरे भारत में कई किसानों के लिए जीवन रेखा रही है। हालांकि, महराजगंज जिले में एक चिंताजनक मुद्दा सामने आया है, जहां लगभग 1 लाख 25 हजार किसानों को इस महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता की 16 वीं किस्त खोने की संभावना है।
PM Kisan 16 वीं किस्त की दुविधा
जब किसान फरवरी या मार्च के लिए निर्धारित 16 वीं किस्त का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, तो एक बाधा सामने आई है। कृषि विभाग बताता है कि इन किसानों ने अनिवार्य KYC (नो योर कस्टमर) और NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया) सत्यापन पूरा नहीं किया है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी किस्तों पर रोक लगा दी गई है।
इस स्थिति के केंद्र में किसानों के लिए ई-केवाईसी, एनपीसीआई और भूलेख सत्यापन से गुजरना अनिवार्य है। सरकार के कड़े फ़ैसले में अब यह निर्धारित किया गया है कि इन प्रक्रियाओं को पूरा करने वालों को ही सम्मान निधि राशि मिलेगी।
महराजगंज ज़िले में किसानों की स्थिति
महराजगंज जिले में PM Kisan के 4 लाख से अधिक लाभार्थियों के साथ, कृषि विभाग एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डालता है। 4 लाख 89 हजार लाभार्थी किसानों में से, एक लाख 25 हजार किसानों ने आवश्यक ई-केवाईसी, एनपीसीआई और भूलेख सत्यापन प्रक्रियाओं को पूरा नहीं किया है।
ई-केवाईसी की सुविधा के लिए तीन साल से चल रहे प्रयासों के बावजूद, कुछ किसानों ने भाग लेने के लिए अनिच्छा दिखाई है। कई बार छूट देने के बाद, सरकार का अटूट रुख अब सम्मान निधि प्राप्त करने के लिए अनुपालन की आवश्यकता को दर्शाता है।
ई-केवाईसी के तीन साल के प्रयास
प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ई-केवाईसी संचालित करने की सरकार की पहल तीन वर्षों से जारी है। निरंतर प्रयासों के बावजूद, कुछ किसानों की ओर से रुचि की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है। सत्यापन को अनिवार्य बनाने का सरकार का निर्णय एक सुव्यवस्थित और जवाबदेह वितरण प्रक्रिया के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
PM Kisan योजना का अवलोकन
प्रधानमंत्री PM Kisan सम्मान निधि योजना के तहत, किसानों को तीन किस्तों में छह हजार रुपये की वार्षिक राशि मिलती है। प्रत्येक किस्त लाभार्थी किसानों के खातों में दो हजार रुपये जमा करती है। 15 किस्तों का वितरण पहले ही हो चुका है, 16वीं किस्त का बेसब्री से इंतजार कर रहे किसानों के लिए ई-केवाईसी, एनपीसीआई और भूलेख सत्यापन की कमी है, जिनके पास ई-केवाईसी, एनपीसीआई और भूलेख सत्यापन की कमी है।
उप निदेशक का वक्तव्य
कृषि उप निदेशक रामशिष्ठ ने इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए 1 लाख 25 हजार किसानों के लिए किस्तों के निलंबन की पुष्टि की, जिन्होंने KYC, NPCI और भूलेख सत्यापन पूरा नहीं किया है। बयान में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि अगली किस्त सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने पर ही फिर से शुरू होगी।
निष्कर्ष:
अंत में, महराजगंज जिले का मुद्दा पीएम किसान जैसी सरकारी पहलों में किसान सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालता है। ऐसी कल्याणकारी योजनाओं की सफलता वित्तीय सहायता के कुशल और समय पर वितरण को सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर करती है।
DEPU अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
Q: PM Kisan सम्मान निधि क्या है? A: यह किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली एक सरकारी पहल है, जिसमें तीन किस्तों में छह हजार रुपये की वार्षिक राशि वितरित की जाती है।
Q: महराजगंज जिले के कुछ किसानों को 16 वीं किस्त खोने का खतरा क्यों है? A: अनिवार्य KYC, NPCI और भूलेख सत्यापन को पूरा करने में उनकी विफलता के कारण।
Q: सरकार कब से किसानों के लिए e-KYC प्रयास कर रही है? A: e-KYC पहल तीन साल से चल रही है।
Q: उन किसानों का क्या होता है जो सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं करते हैं? उत्तर: उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 16वीं किस्त नहीं मिलेगी।
Q: अनिवार्य सत्यापन पर सरकार का क्या रुख है? A: सरकार सम्मान निधि राशि प्राप्त करने के लिए e-KYC, NPCI और भूलेख सत्यापन पूरा करने पर जोर देती है।